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पुनःखुरी (खुरिन्)  : पुं० [सं० पुनः खुर, मध्य० स०+इनि] घोड़ों के पैर का एक रोग जिसमें उनकी टाप फैल जाती है वे चलने में लड़खड़ाते हैं।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
पुनःखुरी (खुरिन्)  : पुं० [सं० पुनः खुर, मध्य० स०+इनि] घोड़ों के पैर का एक रोग जिसमें उनकी टाप फैल जाती है वे चलने में लड़खड़ाते हैं।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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